(485) 1426
हिन्दू धर्म भारत के विशालतम धर्मों में से एक है।
(216) 6451
सूक्ष्म विवरणों वाले छोटे चित्र, लघुचित्र कहलाते हैं। Small pictures with fine details are called miniatures.
(213) 3721
रावण छाया शैल आश्रय उड़ीसा के क्योंझर जिले में स्थित हैं। Badami Cave is located in Karnataka.
(208) 2799
बाघ की गुफाएँ मध्य प्रदेश में स्थित हैं। Baagh Caves are located in Madhya Pradesh.
(204) 6840
अजंता में 29 गुफाओं का समूह है। Ajanta has a group of 29 caves.
(203) 5131
भारतीय चित्रकला को मुख्य रूप से दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है। Indian painting can be mainly classified into two parts.
(202) 6092
प्रागैतिहासिक चित्रकला सामान्यतः चट्टानों पर की गई थी। Prehistoric painting was usually done on rocks.
(190) 1928
भीमबेटका भोपाल के दक्षिण में मध्यप्रदेश की विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित है। Bhimbetka is situated in the Vindhya mountain ranges of Madhya Pradesh, south of Bhopal.
(176) 5021
हमारे भारतवर्ष में कलात्मक उत्कृष्टता की सुदीर्घ परंपरा रही है। Our India has a long tradition of artistic excellence.
(129) 2047
लॉरी बेकर और चार्ल्स कोरिया ने स्वातंत्रयोत्तर वास्तुकला में सराहनीय योगदान दिया। Laurie Baker and Charles Correa made commendable contributions to post-independence architecture.
(127) 4709
अंग्रेज अपने साथ वास्तुकला की गॉथिक शैली लाए और उन्होंने नव-रोमन शैली को विकसित किया। The British brought with them the Gothic style of architecture and they developed the Neo-Roman style.
(125) 1978
यूरोपियाई अपने साथ वास्तुशिल्प एवं स्थापत्य कला का खजाना भी साथ लाए। Europeans also brought with them a wealth of architecture and architecture.
(122) 2204
भारतवर्ष में सूर्य को एक खगोलीय पिण्ड के रूप में वैदिक काल से ही पूजा जाता है। इसकी हिन्दु धर्म में आदित्य या सूर्य के रूप में पूजा की जाती है।
(120) 2047
पारसी विचारधारा में तीन प्रकार के अग्नि मंदिर होते हैं। पहला अतश बेहरम या बेहराम अर्थात् विजय की अग्नि, दूसरा अत्श अदरान या एड्रियन और तीसरा अतश दद्गाह या दर-ए-मेहर है।
(118) 1249
मुस्लिम शासन की स्थापना ने तत्कालीन कश्मीरी शैली और इस्लामी संवेदनाओं के मिश्रण को जन्म दिया। इस मिश्रित शैली की अनूठी विशेषताएँ थीं।
(117) 2057
कश्मीर पर शासन करने वाले हिंदू शासकों ने कुछ अनूठे वास्तुशिल्पों का विकास करवाया। उनके द्वारा अनेक उत्कृष्ट मंदिर निर्मित करवाये गये।
(116) 1948
कश्मीर में वास्तुकला- कश्मीर की वास्तुकला को यहाँ के शासनकाल के अनुसार मुख्य रूप से दो चरणों में विभक्त किया जा सकता है- 1. हिन्दु चरण 2. मुस्लिम चरण।
(114) 2574
मुगल काल के दौरान राजपूत शैली का विकास राजिस्थान और शिख शैली का विकास पंजाब में हुआ। ये दोनों ही शैलियाँ भारतवर्ष की प्राचीन एवं हिन्दु संस्कृति से संबद्ध हैं।
(111) 3848
जहाँगीर के शासनकाल के दौरान वास्तुकला को कोई विशेष महत्व प्राप्त नहीं हुआ। इसके उत्तराधिकारी शाहजहाँ के शासनकाल में मुगल वास्तुकला विकास के चरमोत्कर्ष पर पहुँच गयी। इसके बाद औरंगजेब के शासनकाल में वास्तुकला की अवनति हुई।
(110) 2434
सम्राट अकबर का शासनकाल मुगल कला एवं वास्तुकला का स्वर्ण युग माना जाता है। अकबर ने अपने शासनकाल के दौरान कला एवं स्थापत्य कला के विकास में गहरी रूचि ली।
(109) 2682
मुगल शासक कला एवं स्थापत्य कला के महान संरक्षक थे। उनके शासनकाल के दौरान भारतवर्ष के महत्वपूर्ण वास्तुशिल्पों का निर्माण किया गया।
(108) 3138
मध्यकाल की अवधि के दौरान बंगाल, बीजापुर, जौनपुर और मांडू वास्तुकला के विकास के महत्वपूर्ण केन्द्र बन गए।
(103) 3343
दिल्ली सल्तनत काल के दौरान वास्तुकला- दिल्ली सल्तनत काल यानी 1206 ईस्वी से 1526 ईस्वी के दौरान वास्तुकला को दो प्रमुख श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
(97) 2929
12वीं शताब्दी ईसवी तक दिल्ली पर एक इस्लामिक शासक ने अधिकार कर लिया। इसने भारतीय इतिहास में मध्यकाल का श्रीगणेश किया। आगामी वर्षों में भारतीय वास्तुकला में व्यापक परिवर्तन हुए।
(95) 1699
भारत के महत्वपूर्ण जैन तीर्थस्थलों में पालिताना मंदिर, शिखरजी, गिरनार मंदिर, पावापुरी, दिलवाड़ा मंदिर, श्रवणबेलगोला, शांतिनाथ मंदिर आदि प्रमुख हैं।
(94) 1332
महाबोधि मंदिर, बोधगया , नालंदा, विक्रमशिला, सोमपुरा, ओदंतपुरी, पुष्पगिरी और जगद्दल के महाविहार, छत्तीसगढ़ में सिरपुर, ओडिशा में ललितगिरी आदि प्रमुख बौद्ध तीर्थस्थल हैं।
(92) 1464
भारत के बाहर विदेशों में स्थित प्रमुख मंदिर निम्नलिखित हैं- अंगकोरवाट मंदिर, कंबोडिया, प्रमबनन मंदिर, जावा-इंडोनेशिया, पशुपतिनाथ मंदिर, काठमाण्डू, नेपाल...
(91) 175500
2. भगवान शिव और विष्णु को समर्पित भारत के हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण मंदिरों का विवरण यहाँ दिया गया है।
(89) 1779
भगवान शिव और भगवान विष्णु को समर्पित भारत के हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण मंदिरों का विवरण यहाँ दिया गया है।
(88) 1189
भगवान शिव को समर्पित भारत के 12 ज्योतिर्लिंग– सोमनाथ मंदिर, नागेश्वर मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, महाकालेश्वर मंदिर, ओंकारेश्वर मंदिर आदि हैं।
(86) 3827
भारत का प्राचीन इतिहास गौरवशाली रहा है। शिक्षण व्यवस्था उत्तम थी। जिसमें प्राचीन भारत के प्रमुख विश्वविद्यालय- तक्षशिला, नालंदा, कांचीपुरम थे।
(84) 3469
बंगाल क्षेत्र में विकसित वास्तुशिल्प कला को पाल एवं सेन वास्तुशिल्प शैली के नाम से जाना जाता है।
(80) 3646
16 वीं से 18 वीं शताब्दी के मध्य नायक शासकों के संरक्षण में मंदिर वास्तुकला की नायक शैली विकसित हुई
(79) 3086
दक्षिण भारत में अपने शासनकाल में चोल शासकों ने सैकड़ों मंदिरों का निर्माण करवाया। मंदिर वास्तुकला की इस शैली को द्रविड़ शैली या चोल वास्तुकला के नाम से जाना जाता है।
(71) 3888
दक्षिण भारत में भी एक विशिष्ट शैली विकसित हुई। पल्लव शासक महेन्द्रवर्मन की देख-रेख में मंदिर वास्तुकला प्रारंभ हुई।
(70) 2966
पाँचवी शताब्दी ईसवी में भारत के उत्तरी भाग में मंदिर वास्तुकला की एक भिन्न शैली का प्रादुर्भाव हुआ, जिसे वास्तुकला की नागर शैली के नाम से जाना जाता है।
(65) 2895
प्राचीन भारत में मंदिर वास्तुकला की प्रमुख शैलियों का समृद्ध इतिहास रहा है, जो आज भी दर्शकों को आश्चर्य चकित कर देती हैं।
(62) 4276
मंदिर वास्तुकला- वर्गाकार गर्भगृह एवं खंबों से युक्त द्वारमण्डप के विकास के साथ गुप्त काल में मंदिरों की वास्तुकला का प्रादुर्भाव हुआ।
(61) 6768
अशोक के अभिलेख, अशोक के स्तंभों के साथ-साथ शिलालेख और गुफा भित्तियों पर लेख सहित कुल 33 अभिलेखों का समूह है।
(58) 3942
गुप्त काल- चौथी शताब्दी ईसवी में गुप्त साम्राज्य के आविर्भाव को बहुधा 'भारत का स्वर्णिम युग' कहा जाता है।
(57) 2078
हिन्दू मंदिरों के मूल रूप में निम्नलिखित अवयव सम्मिलित रहते हैं- 1. गर्भगृह 2. मंडप 3. शिखर 4. वाहन
(54) 2143
बुद्ध प्रतिमाओं का सृजन विभिन्न मुद्राओं का आधार बनाकर किया गया है। यहाँ महात्मा बुद्ध की शारीरिक प्रमुख मुद्राएँ इस प्रकार हैं।
(40) 3811
यूनानी तथा रोमन शैली के मध्य कुछ अंतर है। गांधार शैली इन दोनों शैलियों का एकीकरण करती है।
(38) 7521
गांधार शैली में यूनानी अथवा हेलेनिस्टिक मूर्तिकला का विशेष प्रभाव था, इसलिए इसे 'भारतीय-यूनानी कला' कहा जाता है।
(36) 3834
मौर्योत्तर कालीन मूर्तिकला- तत्कालीन समय में मूर्तिकला की तीन शैलियों- गांधार, मथुरा और अमरावती का विकास तीन अलग-अलग स्थानों पर हुआ।
(34) 2984
मौर्योत्तर कालीन स्थापत्य कला के तत्कालीन समय में गुफाएँ दो भागों चैत्य और विहार में विभाजित थीं।
(32) 2237
मौर्योत्तर काल में मूर्तिकला अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई। मूर्तिकला की विभिन्न शैलियों का विकास हुआ। तत्कालीन समय में शैव, वैष्णव और शाक्त जैसे ब्राह्मण संप्रदायों का उद्भव हुआ।
(30) 1908
मौर्य काल की इन गुफाओं को पत्थर काटकर निर्मित किया जाता था। इन गुफाओं का प्रयोग बौद्ध भिक्षु विहार या निवास स्थल के रूप में करते थे।
(29) 3244
मौर्य शासकों ने राजनीतिक के साथ-साथ धार्मिक कारणों से भी दरबारी कला एवं स्थापत्य कार्यों का शुभारंभ किया, जिसे दरबारी कला के नाम से जाना जाता है।
(27) 4040
मौर्य साम्राज्य स्थापित होने के साथ ही राज्य का संरक्षण प्राप्त कला एवं व्यक्तिगत कला की स्थापत्य कला एवं मूर्तिकला में स्पष्ट सीमांकन देखा गया।
(22) 3153
हड़प्पा सभ्यता के पुरास्थलों से मुख्य रूप से दो प्रकार के मृद्भाण्ड प्राप्त हुए हैं- साधारण मृद्भाण्ड और चित्रित मृद्भाण्ड।
(20) 10510
हड़प्पाई मूर्तिकार त्रि-आयामी कृतियों से व्यवहार करने में बहुत कुशल थे। तत्कालीन समय में उन्होंने मोहरों, कांस्य मूर्तियों और मृद्भाण्डों का निर्माण किया है।
(19) 3977
पुरातत्वविदों को हड़प्पा के पुरास्थलों से मुख्य रूप से वर्गाकार मुहरे प्राप्त हुई हैं। वहीं त्रिकोणीय, आयताकार और वृत्ताकार मोहरों के उपयोग के साक्ष्य मिले हैं।
(17) 4041
सभ्यता के स्थलों के उत्खनन से तीन प्रकार के नगर प्राप्त हुए हैं- आवास गृह, सार्वजनिक भवन, सार्वजनिक स्नानागार।
(16) 5067
हड़प्पा सभ्यता के स्थलों के उत्खनन से प्राप्त मुहरों, मूर्तियाँ, मृद्भाण्ड और आभूषण से तत्कालीन समय की कला की स्पष्ट जानकारी मिलती है
(14) 4776
वास्तुकला और मूर्तिकला से तात्पर्य वास्तुकला यानि आर्किटेक्चर लैटिन भाषा के शब्द 'ट्रैक्टन' से व्युत्पन्न है, जिसका अर्थ निर्माता (बिल्डर) होता है।
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